• लेक्सेटिव(laxatives) एक प्रकार की दवा है जो मल त्याग में परेशानी होने पर आपकी आंतों को खाली करने में मदद कर सकती है। यह व्यापक रूप से कब्ज के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है और फार्मेसियों और सुपरमार्केट में उपलब्ध है (बिना प्रिस्क्रिप्शन या ओटीसी के)।
  • अधिकांश रोगियों में कब्ज अधिक चिकनाईयुक्त तथा कम रेशेदार भोजन के खाने से होती है। पानी की कम मात्रा लेने पर भी कब्ज हो जाती है।व्यायाम के अभाव में आंत्रगति मंद पड़ जाती है और कब्ज हो जाती है।
  • कुछ रोगियों को लंबे समय तक बिस्तर पर रहना होता है-जैसे हार्ट अटैक के रोगी, हिप बोन फ्रेक्चर (कूल्हे की हड्डी का अस्थिभंग), मेरुदंड और मेरुरज्जू की चोट, बेहोशी, मस्तिष्क ज्वर, शल्यक्रिया के बाद की अवस्था, इन रोगियों में आंत्रीयगति मंद होने से कब्ज हो जाती है।
Laxatives medicines in Hindi | लेक्सेटिव: उपयोग,खुराक,साइड इफेक्ट्स,सावधानिया।
Laxatives medicines in Hindi | लेक्सेटिव: उपयोग,खुराक,साइड इफेक्ट्स,सावधानिया।

What is Laxatives medicines in Hindi | लेक्सेटिव क्या हें?

  • कब्ज के उपचार हेतु दो प्रकार की दवाओ प्रयोग की जाती हैं
  • (i) मृदु विरेचक (Laxatives), (ii) तीव्र विरेचक (Purgatives)।
  • (i) मृदु विरेचक (Laxatives):
  • यह औषधियाँ मलत्याग को बढ़ावा देती हैं तथा इनके दुष्प्रभाव भी कम होते हैं। मृदु विरेचक भी दो प्रकार के होते हैं।
  • मात्रा बढ़ाने वाले (Bulkforming)यह औषधियाँ मल के आयतन तथा जल की मात्रा को बढ़ाती हैं, इस प्रकार मल त्याग को बढ़ावा देती हैं। उदाहरणार्थ- अगर-अगर (Agar-agar), मिथाइन सेलूलोज, इसफगोल, डाइटरी फाइबर आदि ।
  • मल को मुलायम बनाने वाले (Stool softeners)- यह औषधियाँ कड़े मल को भेदकर उसे मुलायम बनाती हैं, जिससे मलत्याग आसान हो जाता है। उदाहरणार्थ- लिक्विड पैराफिन, डाईआक्टाइल सोडियम सल्फोसक्सीनेट ।
  • (ii) तीव्र विरेचक (Purgatives):

यह औषधियाँ आंतों को पूरी तरह खाली कर देती हैं। इनके उपयोग से आंतें अशक्त हो जाती हैं, जिससे पुन: कब्ज पड़ जाने की सम्भावना रहती है और उसके उपचार के लिये मृदु विरेचक की आवश्यकता होती है। इन औषधियों को कृमि संक्रमण में कृमिनाशक औषधि के साथ, यकृत शोथ युक्त पीलिया में, तथा शल्यक्रिया से पहले आंत्र को तैयार करने में दिया जाता। तीव्र विरेचक दो प्रकार के होते हैं:

(a) सैलाइन पर्गेटिव्स या आस्मोटिक पर्गेटिव्स यह औषधियाँ परासरा द्वारा मल के आयतन को बढ़ाती हैं, जिससे आंत्रीय गति प्रेरित होती है। इनके सेवन से त्यागा गया मल पानी युक्त होता है। उदाहरणार्थ-लैक्टूलोज, मैग्नीशियम आयल, कसकरा सगराडा आदि । हाइड्रॉक्साइड/कार्बोनेट सल्फेट।

(b) इरीटेंट पर्गेटिव्स (क्षोभक तीव्र विरेचक)– यह औषधियाँ आँत्र गति को बढ़ाकर मल त्याग को बढ़ावा देती है। उदाहरणार्थ- फिनोल्फथेलीन, बिसाकोडाइल, सनाय (Senna), कैस्टर,आयल,करकरा,सगरादा,आदि।

1.लिक्विड पैराफिन (LIQUID PARAFFIN)

  • संवर्ग: लैग्जेटिव्स (Laxatives)।

यह गाढ़ा लिक्विड है। इसके 2-3 दिन तक लेने से यह मल को पतला कर ।

आँतों की दीवार को चिकना बनाती है।

  • उपयोग: कब्ज (Constipation)।
  • खुराक: 15-30ml नित्य आयल रूप में अथवा इमल्शन के रूप में।
  • निषेध: 3 साल तक के बच्चों इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • सावधानियाँ: इस औषधि का प्रयोग लम्बे समय तक नहीं करना चाहिये ।
  • पीडियाट्रिक: बच्चों में इस का प्रयोग सावधानी के साथ करें।
  • गर्भावस्था: सुरक्षित औषधि।
  • दुग्धावस्था: सुरक्षित औषधि।
  • दुष्प्रभाव: मलद्वार की जलन। मलद्वार के घाव भरने की प्रक्रिया में बाधा पहुँचाती है।

2.बिसाकोडील (BISACODYL)

  • संवर्ग: लैक्जेटिव्स (Laxatives) |
  • उपयोग: सभी प्रकार का कब्ज, दर जैसी स्थिति में दर्द के समय, ओपरे से पूर्व और पश्चात् की अवस्थाओं बेरियम एनीमा के तैयार करने प्रोक्टोसिग्मोआइडोस्कोपी के म कोलन को तैयार करने में।
  • खुराक: बिस्कोडिल: 5-15 mg ? को सोते समय, फीनोलपथेली 60-130 mg रात को सोते समय।
  • निषेध: उदर की तीव्र अवस्थाओं शल्यचिकित्सा (एक्यूट सर्जीक एब्डोमेन)
  • सावधानियाँ: गर्भावस्था प्रथम तिमाही/एन्टासिड तथा दूध प्रयोग वर्जित ।
  • साइड इफेक्ट्स: उदर में असुविधा, गुर्दाम में घावों का बनना।

3.लैक्टूलोज (LACTULOSE)

  • संवर्ग: लैक्जेटिव्स (Laxatives)। पेटिल सिस्टेमिक इन्सेफलोपैथी, क्रानिक या हैबीचुअल कांस्टीपेशन।
  • खुराक: 4-10gm अथवा 30-50ml दिन में 3 बार ।
  • निषेध: अतिदुग्धशर्करा (गलेक्टोसीमिया) दुग्धशर्करा (गलेक्टोज) अथवा लैक्टोज आहार, इन्टेस्टाइनल ऑब्सट्रक्सन ।
  • सावधानियाँ: गर्भावस्था, बालक, डायबिटीज, दुर्बलता।
  • साइड इफेक्ट्स: अफरा, आँतों की ऐंठन, मितली आदि दुष्प्रभाव पैदा हो जाते हैं।

Frequently asked Questions about Laxatives medicines in Hindi | लेक्सेटिव के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न।

Q-1: लक्सेटिव के 4 प्रकार कौन से हैं?

A-1: लक्सेटिव्स के 4 मुख्य प्रकार हैं।

  • बल्क बनाने वाले लक्सेटिव्स। बल्क बनाने वाले जुलाब “बल्क” या मल के वजन को बढ़ाकर काम करते हैं, जो बदले में आपके आंत्र को उत्तेजित करता है।
  • आसमाटिक लक्सेटिव्स। …
  • उत्तेजक लक्सेटिव्स। …
  • मल-नरम रेचक।

Q-2: लक्सेटिव्स के नाम क्या हैं?

A-2: डुलकोलेक्स (बिसाकोडील)

  • बेड़ा (बिसाकोडील)
  • सेनोकोट (सेन्ना)
  • कास्कर।
  • एक्स-लैक्स (साइनोसाइड्स)
  • अरंडी का तेल।
  • मुसब्बर।

Q-3: लक्सेटिव किसके लिए उपयोग किए जाते हैं?

A-3: जुलाब एक प्रकार की दवा है जो आपको शौचालय जाने में परेशानी होने पर आपकी आंत को खाली करने में मदद कर सकता है। यदि जीवनशैली में परिवर्तन, जैसे कि आपके आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाना, बहुत अधिक तरल पदार्थ पीना और नियमित व्यायाम करना, मदद नहीं करता है, तो कब्ज का इलाज करने के लिए उनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

Q-4: सबसे अच्छा रेचक क्या है?

A-4: सामान्य तौर पर, बल्क बनाने वाले जुलाब, जिन्हें फाइबर सप्लीमेंट के रूप में भी जाना जाता है, आपके शरीर पर सबसे कोमल और लंबे समय तक उपयोग करने के लिए सबसे सुरक्षित हैं। मेटम्यूसिल और सिट्रूसेल इसी श्रेणी में आते हैं।

Q-5: एक तेज रेचक क्या है?

A-5: Dulcolax® लिक्विड रेचक मिरालैक्स की तुलना में तेजी से काम करता है। Dulcolax® कम से कम 30 मिनट (30 मिनट से 6 घंटे) में काम करता है जबकि MiraLAX 1-3 दिनों में काम करता है।

Q-6: वयस्कों के लिए एक प्राकृतिक रेचक क्या है?

A-6: Prunes संभवतः सबसे प्रसिद्ध प्राकृतिक जुलाब में से एक है। वे 1-कप (248-ग्राम) सर्विंग में 7.7 ग्राम के साथ बहुत अधिक फाइबर प्रदान करते हैं। उनमें एक प्रकार की चीनी अल्कोहल भी होती है जिसे सोर्बिटोल (34) के रूप में जाना जाता है। बड़ी मात्रा में सेवन करने पर सोर्बिटोल रेचक के रूप में कार्य करता है (35)।

Q-7: लक्सेटिव कितने समय तक चलते हैं?

A-7: लक्सेटिव्स के सक्रिय तत्वों में अलग-अलग आधा जीवन हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, लैक्टुलोज का आधा जीवन लगभग 2 घंटे होता है जबकि बिसाकोडाइल का आधा जीवन 16 घंटे होता है। बल्क बनाने वाले जुलाब का आधा जीवन नहीं होता है, क्योंकि वे आपके अगले मल त्याग के साथ समाप्त हो जाते हैं।

Q-8: क्या दूध रेचक है?

A-8: कच्चे दूध को कई प्राकृतिक स्वास्थ्य चिकित्सकों द्वारा अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध पास्चुरीकृत किस्मों की तुलना में अधिक आसानी से पचाने वाला माना जाता है, और यह कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है।

Q-9: क्या चाय रेचक है?

A-9: गर्म या ठंडी काली चाय में हल्का पर्याप्त रेचक प्रभाव हो सकता है जो कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है, लेकिन आप इसे लंबे समय तक स्वास्थ्य जोखिम के बिना रोजाना सेवन कर सकते हैं। अपनी चाय में शहद या गुड़ मिलाने से इसके रेचक गुण बढ़ सकते हैं।

Q-10: क्या होता है यदि आप बहुत अधिक जुलाब लेते हैं?

A-10: रेचक ओवरडोज के सबसे आम लक्षण मतली, उल्टी, पेट में ऐंठन और दस्त हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों में निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट (शरीर के रसायन और खनिज) असंतुलन अधिक आम हैं।

Conclusion -निष्कर्ष ।

अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो जुलाब कब्ज से राहत दिलाने में प्रभावी हो सकता है। यदि आपको किसी भी दुष्प्रभाव का अनुभव हो तो अनुशंसित खुराक का पालन करना और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। नियमित मल त्याग को बढ़ावा देने के लिए हाइड्रेटेड रहना और अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना याद रखें। जुलाब का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करके और आवश्यकता पड़ने पर पेशेवर मार्गदर्शन प्राप्त करके अपने स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता दें।

डिस्क्लेमर – ऊपर दी गई जानकारी हमारे शोध और ज्ञान के सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन, आपको दवा का सेवन करने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।